Wednesday, March 12, 2008

धूप ने निचोड़ दिया एक और दिन

धूप ने निचोड़ दिया एक और दिन
की टपक रही आखिरी बूंदे
जिंदगी कुछ भाप बनकर उडी
और कुछ बूँद बन के टपकी
नमी का असर जो बाकि बच गया
वही है सरमाया मेरी कहानी का
धूप ने निचोड़ दिया एक और दिन...

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