Tuesday, March 11, 2008

तुम्हारे शब्द

तुम्हारे शब्द

अतीत की घास पर पड़ी हुई

ओस की बूंदों की तरह थे

जो यादों की किरणों के

पारस स्पर्श से स्वर्ण बन गए

रहने दो उन्हें अनछुए...तुम्हारे शब्द

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