कल रात कुछ अजीब थी,
रेंग रही थी उंगिल्याँ उलझनों में
और दर्द की एक शिकन थी तुम्हारे चेहरे पर
एक अजनबी सी टीस मुझ में भी
यह रात और इसकी हर बात अजीब थी
उलझन से लगन थी
कयोंकी सुलझने में दर्द था
पता नहीं क्यों यूं लगता है
दर्द से भरी सुल्झन से तो
भली वो उलझन ही थी...
Funny arguments
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I attended Delhi Knowledge Community session today. One of my five
colleagues was supposed to deliver a session: 3 Cs of communication:
Content, Collaborat...
13 years ago
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