Wednesday, September 3, 2008

जवाब

एक अरसे से मैं छुप रहा था

आज जवाब ने मुझे खोज ही लिया

जिसका तस्सवुर भी था मुश्किल

आज जवाब बन सामने है खड़ा

मेरी जुबान की उँगलियाँ रही है काँप

पकड़ पड़ रही है ढीली

ये शब्द बिछड़ना है ही कुछ ऐसा

जो जवाब बन सामने है खड़ा

एक अरसे से मैं छुप रहा था...

4 comments:

Sneha Shrivastava said...

Amazing.:)

Me said...

Loved it :)

Krishna said...

To kaisa raha jawaab, hamein bhi to bataao.

:))

Anonymous said...

kitna bhaag sakoge tum, kya bhaag paoge,
woh din aayega,aapne aap ko apne saamne khada paoge...
Nice post.
Claps !!!