Wednesday, April 16, 2008

कल रात गुजरते हुए उन रास्तों से
यूं लगा जैसे राहें कुछ सुस्त हो चली है
जब हम थे रहगुजर पे तो एक भागमभाग थी
जमीन जैसे कुछ पोली सी और फिसलन खूब थी

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